रतन टाटा की रणनीतिक पहल ने भारत को एप्पल के उत्पादन का नया केंद्र बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एप्पल द्वारा चीन से अपने परिचालन को चरणबद्ध तरीके से हटाने के साथ, भारत iPhone निर्माण में अग्रणी स्थान पर आ रहा है। इस बदलाव से न केवल भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी, बल्कि रोजगार के अवसरों में भी बड़ा इजाफा होगा।
रोजगार में भारी वृद्धि
भारत में एप्पल के साथ जुड़कर काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 1.65 लाख तक पहुंच चुकी है, और वित्तीय वर्ष के अंत तक यह संख्या 2 लाख तक पहुंचने की उम्मीद है। इस कार्यबल का बड़ा हिस्सा महिलाओं का होगा, जो कार्यक्षेत्र में लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करता है।
टाटा समूह ने इस बदलाव को तेज गति प्रदान की है। फॉक्सकॉन, पेगाट्रॉन और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी बड़ी कंपनियों के साथ साझेदारी ने 1.65 लाख से अधिक रोजगार के अवसर सृजित किए हैं। इसके अतिरिक्त, टाटा समूह ने विस्ट्रॉन का अधिग्रहण तेजी से पूरा किया, जिससे उत्पादन और रोजगार दोनों में तेजी आई है।
PLI योजना का प्रभाव
भारत सरकार की उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना ने पांच सालों में 2 लाख रोजगार सृजित करने का लक्ष्य रखा था। लेकिन यह लक्ष्य चार सालों में ही पूरा कर लिया गया, जो एप्पल के भारत में विस्तार की तीव्र गति को दर्शाता है। सरकार के अनुमान के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में हर एक प्रत्यक्ष नौकरी से तीन अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा होती हैं। इस प्रकार, 2025 तक इस क्षेत्र में 6 लाख नौकरियां बनने की संभावना है।
तमिलनाडु में नए अवसर
तमिलनाडु इस विकास का प्रमुख केंद्र बनकर उभरा है। टाटा समूह की होसुर स्थित नई फैक्ट्री में अक्टूबर तक iPhone निर्माण शुरू होने की उम्मीद है। इस फैक्ट्री में लगभग 50,000 लोगों को रोजगार मिलेगा। खास बात यह है कि इनमें उत्तराखंड से आने वाली महिलाओं की भी बड़ी संख्या होगी, जिन्हें विशेष अवसर प्रदान किए जा रहे हैं।
भारत के लिए क्या मायने रखता है यह बदलाव
चीन से उत्पादन हटाकर भारत में लाने का फैसला न केवल एप्पल की वैश्विक रणनीति को दर्शाता है, बल्कि यह भारत के लिए भी ऐतिहासिक आर्थिक अवसर है। इससे न केवल देश में तकनीकी उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि रोजगार बाजार में भी नई संभावनाएं उभरेंगी।
रतन टाटा और टाटा समूह की इस पहल ने भारत को वैश्विक तकनीकी मानचित्र पर और अधिक मजबूती से स्थापित किया है। आने वाले समय में, इस कदम से भारत में तकनीकी विकास और रोजगार के और भी नए दरवाजे खुलने की संभावना है।